आज कल बैंको ने लोन प्रदान करने की प्रक्रिया बहुत ही आसान कर दी है | आप घर बैठे आसानी से लोन ले सकते है | लेकिन लोन लेना जितना आसान है चुकाना उतना ही मुश्किल | कई बार ग्राहक नौकरी छूटने या फिर मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में लोन की EMI समय पर नहीं चुका पाते हैं | इससे ग्राहक को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है | आइये जानते है लोन नहीं चुकाने पर क्या होता है (Loan Nahi Chukane Par Kya Hota Hai)?
बैंक सिविल मुकदमा दाखिल कर सकता है
बैंक, लोन न चुकाने वाले व्यक्ति के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई कर सकता है | इस कार्रवाई के तहत, बैंक सिविल मुकदमा दाखिल कर सकता है | कोर्ट, लोन चुकाने वाले व्यक्ति को लोन चुकाने का आदेश दे सकता है | कोर्ट, लोन की रिकवरी के लिए व्यक्ति की संपत्ति जब्त करने और बेचने का भी आदेश दे सकता है |
कारावास की सज़ा मिल सकती है
बैंक, भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत भी मामला दर्ज करवा सकता है | इसमें कारावास की सज़ा का प्रावधान है |
क्रेडिट स्कोर गिर सकता है
लोन न चुकाने पर, व्यक्ति की क्रेडिट रिपोर्ट में डिफ़ॉल्ट दर्ज हो सकता है और उसका क्रेडिट स्कोर गिर सकता है | इससे, अगली बार लोन लेने में दिक्कत हो सकती है |
बैंक लेट पेमेंट शुल्क लगा सकता है
बैंक, लोन न चुकाने वाले व्यक्ति पर लेट पेमेंट शुल्क लगा सकता है | यह शुल्क, आम तौर पर ईएमआई का 2 प्रतिशत तक होता है |
लोन रिकवरी वाले घर आके आपकी छवि ख़राब कर सकते है
लोन कंपनी, व्यक्ति का पता रिकवरी एजेंटों को दे सकती है | ये एजेंट, व्यक्ति को बार-बार कॉल कर सकते हैं, मैसेज भेज सकते हैं या घर भी आ सकते हैं |
बैंक ग्राहक को डिफॉल्टर घोषित कर देगा
बैंक को लोन की पहली क़िस्त नहीं मिलने पर बैंक या वित्तीय संस्थान उसे गंभीरता से नहीं लेता | लेकिन जब दूसरी क़िस्त भी ना मिले तो बैंक ग्राहक को एक रिमाइंडर भेजता है | और अगर किसी कारणवश ग्राहक लगातार तीसरी क़िस्त भी नहीं देता तो बैंक अपने ग्राहक को एक कानूनी नोटिस भेजता है | नोटिस मिलने के बाद भी लोन नहीं चुकाता (Loan Ki Kist Nahi Chukane Par Kya Hoga) तो बैंक ग्राहक को डिफॉल्टर घोषित कर लोन अकाउंट को NPA मान लेता है | और वसूली प्रक्रिया शुरू कर देता है |
प्रॉपर्टी को बेचकर लोन की भरपाई
अगर आप बैंक से प्रॉपर्टी या गोल्ड लोन चल रहा है और आप उसे चुकाने में असमर्थ (Personal Loan Nahi Chukane Par Kya Hoga) है तो RBI की गाइंडलाइस के मुताबिक बैंक के पास गिरवी रखी प्रॉपर्टी को बेचकर बैंक अपने लोन की भरपाई करता है | प्रॉपर्टी नीलामी का बैंक के पास आखिरी कानूनी विकल्प होता है | लेकिन इससे पहले बैंक ग्राहक संपत्ति के अनुमानित मूल्य के साथ नीलामी नोटिस भेजता है | अगर ग्राहक नीलामी की तारीख से पहले यानी नीलामी नोटिस मिलने के एक महीने बाद भी किश्त नहीं भरता है तो बैंक नीलामी औपचारिकताओं के साथ आगे बढ़ता है |
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क्रिमिनल केस दर्ज हो सकता है
पर्सनल लोन में अगर ग्राहक लगातार तीन किस्त चुकाने में असमर्थ होता है यानि की आपका लोन रीपेमेंट का चेक बाउंस होता है तो बैंक या एनबीएफसी आपके खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज कर सकते हैं | इससे जेल भी हो सकती है | अगर लोन चुकाने की तारीख के 180 दिनों के बाद भी लोन भुगतान नहीं हुआ है तो लोन कंपनी आपके खिलाफ सिविल मुकदमा कर सकती है ताकि वह बकाया लोन राशि, ब्याज का पैसा और कानूनी खर्चे वसूल सके |
भविष्य में किसी भी बैंक से लोन नहीं मिलेगा
अगर आपने समय पर बैंक का लोन नहीं चुकाया (Bank ka Loan Nahi Chukane par kya Hoga) तो बैंक आपको डिफॉल्टर घोषित कर देगी | और आपके क्रेडिट स्कोर को नुकसान होगा | जिससे आपको नया ऋण लेने में कठिनाई होगी | अगर लोन के सिलसिले में आप पर कानूनी कार्रवाई होती है तो भविष्य में आपको किसी भी बैंक से लोन नहीं मिलेगा |
अगर लोन चुकाने में परेशानी हो रही है, तो व्यक्ति, बैंक से समझौता कर सकता है | इस समझौते के तहत, बैंक बकाया रकम में से कुछ छूट दे सकता है |